पृष्ठभूमि
भारत के नियन्त्रक-महालेखापरीक्षक ने भारत सरकार के समर्थन से 12 अगस्त, 2002 को एक अधिसूचना के माध्यम से सरकारी लेखांकन मानक सलाहकार बोर्ड (गसब) का गठन किया। गसब को स्थापित करने का निर्णय सार्वजनिक वित्त प्रबंधन मे उभरती नई प्राथमिकाताओं तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृतियो के साथ तालमेल बनाए रखने की पृष्ठभूमि में लिया गया। सार्वजनिक खर्च में नई प्राथमिकताएं सुशासन, राजकोषीय विवेक, दक्षता और पारदर्शिता पर ध्यान केन्द्रित करती है।
दुनियाभर में लेखांकन प्रणाली शासन से सिद्धांत आधारित मानकों और लेखांकन की नकदी से प्रोदभूत आधारित प्रणाली की और पारगमन के नियम के परिवर्तन की ओर गौर किया जा रहा है। गसब भारत में नोडल सलाहकार निकाय के रूप में भारतीय लेखांकन तथा वित्तीय रिपोर्टिंग के मानकों को तैयार करने तथा बेहतर बनाने में तथा जवाबदेही तंत्र को बढाने में इसी प्रकार की कार्रवाई कर रहा है।
बोर्ड का ढ़ांचा
बोर्ड में सरकार, वित्त मंत्रालय, डाक विभाग, राज्यों के वित्त सचिवों, आरबीआई और प्रमुख लेखा और अनुसंधान संगठनों के प्रमुखों में महत्वपूर्ण लेखा प्रमुखों का उच्च स्तरीय प्रतिनिधित्व है। GASAB की सदस्यता की समीक्षा दिनांक 15 सितंबर 2021 की अधिसूचना के द्वारा की गई है और इसमें निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:
1. उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सरकारी लेखा) अध्यक्ष के रूप में
2. वित्त आयुक्त, रेलवे
3. सदस्य (वित्त) दूरसंचार आयोग, दूरसंचार विभाग
4. सचिव, डाक विभाग
5. रक्षा लेखा महानियंत्रक
6. लेखा महानियंत्रक
7. अतिरिक्त/संयुक्त सचिव (बजट), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
8. डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक या उनके नामिती
9. अतिरिक्त उप सीएजी, गसब
10-13. चार राज्यों के प्रधान सचिव (वित्त) चक्रानुक्रम से
14. अध्यक्ष, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) या उनका नामिती
15. महानिदेशक/प्रधान निदेशक (सरकारी लेखा), भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय सदस्य सचिव के रूप में।
बोर्ड के दायित्व
1. जवाबदेही तंत्र बढाने के लिए सरकारी लेखांकन तथा वित्तीय रिपोर्टिग के मानको की तैयारी और सुधार करना।
2. मानकों का निरूपण और उन्हें प्रस्तावित करना जो कि उपयोगकर्ताओं की जरूरतों के आधार पर वित्तीय रिपोर्टों की उपयोगिता में सुधार करे।
3. सरकारी मानकों को अद्यतित रखना तथा परिवेश में आए परिवर्तनों को दर्शाना
4. मानकों के कार्यान्वयन पर दिशानिर्देश प्रदान करना
5. लेखांकन एवं वित्तीय रिपोर्टो के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार करना जिन्हें मानक बनाने की प्रक्रिया के माध्यम से सुधारा जा सकता है।
6. वित्तीय रिपोर्टों में निहित जानकारी की प्रकृति और उद्देश्यों के लिए सामान्य समझ में सुधार करना